मालविका
a creative woman
शुक्रवार, 11 मार्च 2011
सूत्र - 116
जब कर्म ही लक्ष्य हो जाए और सफर मंजिल, तो जीवन ‘तृप्ति’ हो जाती है और इंसान योगी.
शुक्रवार, 4 मार्च 2011
सूत्र - 115
जहाँ न स्वार्थ होता है और न मजबूरी वहीं विशुद्ध प्यार होता है, लेकिन जहाँ प्यार होता है वहाँ मजबूरी भी होती है.
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