शुक्रवार, 4 मार्च 2011

सूत्र - 115


जहाँ न स्वार्थ होता है और न मजबूरी वहीं विशुद्ध प्यार होता है, लेकिन जहाँ प्यार होता है वहाँ मजबूरी भी होती है.

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