मालविका
a creative woman
शुक्रवार, 11 मार्च 2011
सूत्र - 116
जब कर्म ही लक्ष्य हो जाए और सफर मंजिल, तो जीवन ‘तृप्ति’ हो जाती है और इंसान योगी.
2 टिप्पणियां:
डॉ. राजेश नीरव
13 मार्च 2011 को 10:29 pm बजे
गर उल्टा हो तो...
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डॉ. मोनिका शर्मा
20 मई 2011 को 8:06 am बजे
सुंदर पंक्तियाँ.....विचारणीय
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गर उल्टा हो तो...
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