सोमवार, 11 जनवरी 2010

सूत्र-65


भौतिक संपन्नता नामालूम-सी, छोटी-छोटी खुशियों की कब्र पर खड़ी होती है

1 टिप्पणी:

  1. कुछ खुशियो कि मौत को आप भौतिक सम्पन्नता से जोड कर देख रही है। यह कहां तक उचित है? "भौतिक संपन्नता नामालूम-सी, छोटी-छोटी खुशियों की कब्र पर खड़ी होती है" इसे एक सिद्धांत रुप से स्वीकार नही किया जाना चाहिए। सम्पन्नता मे भी कुछ नियम पालन किए जाए तो खुशियो को बरकरार रखा जा सकता है ।

    सम्पन्नता मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है । हम गलत राजा चुनते है, शायद यही हमारी विपन्नता का मुल कारण है । आज हमारा राजा (शासक) विधर्मी साम्राज्यवादी ताकतो के ईशारो पर चल रहा है, और इस वजह से हमारी श्री समृद्धि उनके पास जा रही है । हमने ऐसे दुष्ट को अपना महा- अमात्य बना रखा है जो साम्राज्यवादी शक्तियो के हित मे काम करता रहा है ।

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