मालविका
a creative woman
रविवार, 6 दिसंबर 2009
सूत्र-30
प्राकृतिक न्याय अपने मूल स्वरूप में क्रूर होता है।
1 टिप्पणी:
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
6 दिसंबर 2009 को 2:34 pm बजे
क्षमा कीजिये, प्राकृतिक न्याय क्रूर लगता है, होता नहीं !
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क्षमा कीजिये, प्राकृतिक न्याय क्रूर लगता है, होता नहीं !
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